ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Tue, 14 Mar 2023
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पूस की हो सर्दियां या गर्मियां बैसाख में ।
कृष्ण हो या शुक्ल हो तैयार हैं हर पाख में ।
कारगिल ,डुकलाम हो या जंग हो लद्दाख में ।
शत्रु यदि आगे बढ़ा तो जा मिलेगा राख में ।
हम उसी बाली के वंशज और अंगद भ्रात हैं ,
माह छः रावण रखा जिसने दबाकर काख में ।
तीन कपि बापू तुम्हारे राह भटके आजकल ,
चीन में कुछ पाक में बट्टा लगाते साख में ।
फौज के आगे अड़े यदि चीन हो पाक हो ,
भारती के शेर सौ भूसा भरेंगे लाख में ।
टैंक बंदूकें हमारी शान हैं शृंगार है ,
युद्ध के आलेख अंकित तोप के सूराख में ।
पाक को चेतावनी है चीन को ललकार है ,
हर तरह के शस्त्र चालान हैं हमारी जाख में ।
खास काली अस्त्र "हलधर" फ़ौज का अभिमान है ,
खोज मत अंगूर अब बारूद पोषित दाख में ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून