ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Fri, 3 Mar 2023
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ख़ाक में मिल गए ख़ान खां कैसे कैसे ।
राह में गुम हुए कारवां कैसे कैसे ।
बोल जय हिंद सूली चढ़े थे भगत ,
देश हित में दिए इम्तिहां कैसे कैसे ।
लाख कोशिश हुई मारने की हमें,
दुश्मनों ने किए इन्तहां कैसे कैसे ।
बे जुबानी मुहब्बत सताती रही ,
मौन के भी हुए तर्जुमा कैसे कैसे ।
अंजुमन में रहे हम क़फ़स की तरह ,
जल गए बे सबब आशियां कैसे कैसे ।
बात आयी मुहब्बत की वो रो पड़े ,
तितलियां ले उड़ीं बागवां कैसे कैसे ।
जान "हलधर"अदब में फसी रह गयी ,
चुटकुले पा गए सुर्खियां कैसे कैसे ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून