ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Updated: Jul 22, 2024, 23:35 IST
| गरीबों के लिए रोटी कमाना ख़्वाब है दुनिया ।
हकीकत में बड़ी बेरहम दिल पायाब है दुनिया ।
मुरक्का मान मत लेना इसे सच्ची मुहब्बत का ,
महज़ धोखाधड़ी के वास्ते असवाब है दुनिया ।
कहीं कौमी फसाने हैं कहीं पर मज़हबी दंगे ,
कहीं पर आदमीयत के लिए अहवाब है दुनिया ।
वफ़ा इंसानियत नेकी मुरब्बत का यहां टोटा,
ज़रा इतिहास में झांको लहू का बाब है दुनिया ।
सितारों सी चमक इसमें अमावस सा अंधेरा है ,
कभी ये आग का गोला कभी महताब है दुनिया ।
भले ही लाख कमियां हों मगर ये खूबसूरत है ,
अमन के कामगारों को चमन शादाब है दुनिया ।
ये जैसी भी है हमको जिंदगी जीना इसी में है ,
कमी इंसान में 'हलधर' बहुत नायाब है दुनिया ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून