ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर

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गरीबों के लिए रोटी कमाना ख़्वाब है दुनिया ।

हकीकत में बड़ी बेरहम दिल पायाब है दुनिया ।

मुरक्का मान मत लेना इसे सच्ची मुहब्बत का ,

महज़ धोखाधड़ी के वास्ते असवाब है दुनिया ।

कहीं कौमी फसाने हैं कहीं पर मज़हबी दंगे ,

कहीं पर आदमीयत के लिए अहवाब है दुनिया ।

वफ़ा इंसानियत नेकी मुरब्बत का यहां टोटा,

ज़रा इतिहास में झांको लहू का बाब है दुनिया ।

सितारों सी चमक इसमें अमावस सा अंधेरा है ,

कभी ये आग का गोला कभी महताब है दुनिया ।

भले ही लाख कमियां हों मगर ये खूबसूरत है ,

अमन के कामगारों को चमन शादाब है दुनिया ।

ये जैसी भी है हमको जिंदगी जीना इसी में है ,

कमी इंसान में 'हलधर' बहुत नायाब है दुनिया ।

 - जसवीर सिंह हलधर , देहरादून