ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Jun 27, 2024, 22:32 IST
| 
पराये और अपने एक दिन सारे भुला देंगे ।
उठा कर चार कंधों पे चिता अपनी जला देंगे ।
जमा दौलत यहीं पर हार कर भागे सभी अब तक ,
लिखे कुछ गीत ,गज़लें जीत का मुझको शिला देंगे ।
किसी को राख होना है किसी को खाक में मिलना,
कहे दो बोल मीठे प्रेम का गुलशन खिला देंगे ।
सहेली या पहेली है बता यह जिंदगी क्या है ,
इरादे मौत के पक्के किला इसका हिला देंगे ।
परेशानी किसी के सामने मत भूल कर कहना ,
मदद के नाम पर साथी जहर मीठा पिला देंगे ।
जमीं जन्नत सरीखी है इसे जो कर रहे गंदा ,
बहाबी सोच के सपने उन्हें मिट्टी मिला देंगे ।
चुनावी वायदों में झोंपड़ी को तोड़ मत"हलधर" ,
लुटेरे राजनैतिक दल नया क्या घर दिला देंगे ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून