ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
May 1, 2024, 22:52 IST
| विचारों भावनाओं का मधुर उदगार है कविता,
कलम की नोंक से निकली हुई ललकार है कविता ।
किसी की जिंदगी कविता किसी की वंदगी कविता,
कभी ये प्रेम रोगी है कभी उपचार है कविता ।
कभी लय युक्त होती है कभी लय मुक्त हो जाती,
कभी निर्घोष सी बहती नदी की धार है कविता ।
कभी ये शांति की पोषक कभी ये क्रांति की घोषक,
शहीदों की मजारों में छुपी हुंकार है कविता ।
कभी ये व्योम में सोती कभी यह कौम पर रोती,
कभी इतिहास को दुहराती हुई यलगार है कविता ।
कभी तितली के पंखों में कभी भँवरों की रूनझुन में,
कभी उपवन खिला ये फूल सा उपहार है कविता ।
कभी मधुमास हो गाती हृदय के इन निकुंजों में,
सजा दे भावना को छंद में वो तार है कविता ।
बना है पांच तत्वों से सभी की देह का ढांचा ,
सुरों में प्राण को साधे वही गुंजार है कविता ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून