ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर

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विचारों भावनाओं  का मधुर उदगार  है कविता,

कलम की नोंक से निकली हुई ललकार है कविता ।

किसी की जिंदगी कविता किसी की वंदगी कविता,

कभी ये प्रेम रोगी है कभी उपचार है कविता ।

कभी लय युक्त होती है कभी लय मुक्त हो जाती,

कभी निर्घोष सी बहती नदी  की धार है कविता ।

कभी ये शांति की पोषक कभी ये क्रांति की घोषक,

शहीदों की मजारों में छुपी हुंकार है कविता ।

कभी ये व्योम में सोती कभी यह कौम पर रोती,

कभी इतिहास को दुहराती हुई यलगार है कविता ।

कभी तितली के पंखों में कभी भँवरों की रूनझुन में,

कभी उपवन खिला ये फूल सा उपहार है कविता ।

कभी मधुमास हो गाती हृदय के इन निकुंजों में,

सजा दे भावना को छंद में वो तार है कविता ।

बना  है पांच तत्वों से सभी  की  देह  का  ढांचा ,

सुरों में प्राण को साधे वही गुंजार है कविता ।

 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून