ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर

बुलंदी देर तक किस देश के घर में समाई है ।
कभी भारत कभी ब्रिटेन दुनिया घूम आई है ।
यहां अमरीकियों के जाल में है विश्व ये पूरा ,
तभी तो रूस ने यूरोप की तोड़ी कलाई है ।
यहाँ आरोप प्रत्यारोप ने सीमा सभी तोड़ी ,
कहा वाडेन ने की रूस का नेता कसाई है ।
तमाशा देखता नाटो जला यूक्रेन धूँ धूँ कर ,
यहाँ यूरोप की देखी सभी ने बेवफाई है ।
समूचे विश्व को किरदार भारत का लुभाता है ,
पड़ौसी पाक चालू चीन भी देता बधाई है ।
बहुत जी चाहता यूक्रेन निकले युद्ध से बाहर ,
मगर वाडेन तो इस युद्ध में खाता मलाई है ।
अमीरी का गरीबी से रहा है वैर सदियों से ,
कुबेरों ने सदा कमजोर की गर्दन दबाई है ।
मुहब्बत और रंजिस तोलने को चीन भी आया ,
मगर सीमा समस्या तीन पैरों की तिपाई है ।
चुनौती युद्ध की "हलधर"समूचे विश्व के सम्मुख ,
हमारा देश अब भी शांति की देता दुहाई है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून