ग़ज़ल (हिंदी) - जसवीर सिंह हलधर
Oct 2, 2023, 23:25 IST
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छेड़ मत इतिहास को भूगोल भी घिर जाएगा।
मज़हबी तूफान में बूढ़ा शजर गिर जाएगा ।
सांझला चूल्हा हजारों साल से जो जल रहा ,
ये अगर बुझने लगा किस ओर ज़ाकिर जायेगा ।
सिरफिरे उन्माद में व्यवसाय घायल हो रहा ,
बेवजह नुकसान में सतपाल, कादिर जाएगा ।
हम समूचे विश्व को ऐसा सफ़ीना दे रहे ,
बैठ कर इस नाव में सारा जहां तिर जाएगा।
सर जुदा तन से कराना ईश का आदेश क्या ?
व्यर्थ के उन्माद में ये कारवां चिर जाएगा।
अब मदीने की बगल में एक मंदिर बन रहा ,
रोक लेगा क्या वहां पर रोज काफ़िर जाएगा।
बात जो मैंने कही वो सत्य है हर कोण से ,
जुर्म गर नासीर करे तो जेल नासीर जाएगा ।
एक चिंगारी बहुत है घर जलाने के लिए ,
घर जला तो सोच "हलधर" तू कहां फिर जाएगा ।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून