ग़ज़ल – रीता गुलाटी
Dec 8, 2023, 23:38 IST
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मिली रौनक हमें भी महफिलों से,
रहेगें अब हमेशा काफिलों से।
किया धोखा मुगालत भी कहे वो,
शिकायत क्या करे अब कातिलों से।
नही लिखता खतों को यार मेरा,
रिझाता वो नही अब तो खतों से।
नजर उसकी मुझे चाहें निहारे,
खुशी से हाथ खनके चूड़ियों से।
हिम्मतो से लड़ा है आदमी जब,
उठा है वो हमेशा हौसलो से।
मिलेगी आज खुशियाँ भी उन्ही से,
नही वो आज कम भी आशिकों से।
बढ़ी है आज बैचेनी कहे *ऋतु,
कटी है रात मेरी करवटों से।
रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़