गीतिका - मधु शुक्ला

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जो निभाये साथ हर पल है वही मनमीत प्यारा,

साथ दे हर हाल में जो श्रेष्ठतम है वह सहारा।

व्यक्ति के व्यवहार से बढ़कर नहीं दौलत जगत में,

भावना सहयोग मानव को बनाती है दुलारा।

वेदना तन मन न ठहरे बोल मीठे हों जहॉ॑ पर ,

जगमगायें बोल ही तो व्यक्ति का किस्मत सितारा।

सर्वदा संबंध का आधार अपनापन रहा 'मधु' ,

प्रेम की पतवार देती भव समुंदर का किनारा।

हों जहॉ॑ कर्त्तव्य प्रिय अधिकार से ज्यादा जगत में,

शांत , निर्मल उस  जगह  बहती रहे  संबंध धारा।

- मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश