गीतिका - मधु शुक्ला

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एकता से ही वतन सम्मान पायेगा,

हर छुपे गद्दार को जड़ से मिटायेगा।

चैन पायेगा न भ्रष्टाचार पल भर भी,

जब युवा अपने वतन का जाग जायेगा।

साम्यता होगी कथन व्यवहार में तब ही,

सेवकों का धर्म जनमत जब बतायेगा।

जो बड़ा कानून से खुद को समझते हैं,

न्याय उनको द्वार बाहर का दिखायेगा।

जिस धरा की वायु हमको प्राण देती है,

काम उसके हर समय इंसान आयेगा।

 — मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश