गीतिका - मधु शुक्ला
Jul 1, 2024, 23:23 IST
| प्रीति करते हैं सभी बरसात से,
व्यक्त करते बात यह सब गात से।
ग्रीष्म से वर्षा करे रक्षा यही,
कह रही हम से प्रकृति शुरुआत से।
बालमन होता प्रफुल्लित देख घन,
भीगते, गाते बहुत जज्बात से।
प्राय सब बूढ़े बड़े बूँदें छुएं,
मन करे अनुभूति सुख जल प्राप्त से।
सृष्टि का आधार वर्षा नीर है,
जीव सब जग में जुड़े इस ज्ञात से।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश