गीतिका - मधु शुक्ला
Jun 23, 2024, 22:56 IST
| प्रीति सद्कर्म से निभायें हम,
हर्ष, सम्मान घर बुलायें हम।
मित्र अवगुण हमें सताते हैं,
यत्न कर के उन्हें मिटायें हम।
शत्रु अज्ञान सम नहीं दूजा,
मित्रता ज्ञान से बढ़ायें हम।
एकता बल वतन सजाता है,
वृक्ष बंधुत्व के लगायें हम।
प्राप्त जीवन नहीं पुनः होता,
व्यर्थ कोई न क्षण बितायें हम।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्य प्रदेश