गीतिका - मधु शुक्ला

 | 
pic

रौंद सके जो असफलता को,लगन और श्रम द्वारा,

मंजिल दूर नहीं रहती है, मिलता सहज किनारा।

होता साथी जब दृढ़ निश्चय ,व्यवधान नहीं टिकते,

भेंट लक्ष्य से तय होती है , साहस कभी न हारा।

ग्रहण विजय वे ही करते जो, तूफानों को झेलें,

संघर्षों  से  डरे,  नही  वे, सुन  पाये  जयकारा।

धैर्य, हौंसला व कर्मण्यता, जो धारण करता है,

उसको ही गंतव्य राह पर, मिलता है उजियारा।

कर्मवीर के गुण गाता जग, उन्नति पग छूती है,

सतत प्रगति की ओर प्रवाहित, होती जीवन धारा।

 — मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश