गीतिका - मधु शुक्ला
Feb 16, 2024, 21:02 IST
| रौंद सके जो असफलता को,लगन और श्रम द्वारा,
मंजिल दूर नहीं रहती है, मिलता सहज किनारा।
होता साथी जब दृढ़ निश्चय ,व्यवधान नहीं टिकते,
भेंट लक्ष्य से तय होती है , साहस कभी न हारा।
ग्रहण विजय वे ही करते जो, तूफानों को झेलें,
संघर्षों से डरे, नही वे, सुन पाये जयकारा।
धैर्य, हौंसला व कर्मण्यता, जो धारण करता है,
उसको ही गंतव्य राह पर, मिलता है उजियारा।
कर्मवीर के गुण गाता जग, उन्नति पग छूती है,
सतत प्रगति की ओर प्रवाहित, होती जीवन धारा।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश