गीतिका - मधु शुक्ला

 | 
pic

हमें   कंटकों  से  बचाते  रहे,

पिता प्यार हम पर लुटाते रहे।

यथा शक्ति गुरु जी दिये ज्ञान जो,

उसी से प्रगति पथ सजाते रहे ।

मिला परिजनों का सहारा तभी,

सुखद जिंदगी हम बिताते रहे।

समय से मिले अनुभवों से सदा,

मधुर  स्वप्न, संबंध  पाते  रहे।

मिला ईश सहयोग आशीष 'मधु'

मनुज धर्म तब ही निभाते रहे।

-  मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश