गीतिका - मधु शुक्ला
Feb 1, 2024, 22:28 IST
| सत्य प्रिय जिनको, नहीं वे सोचते अंजाम,
न्याय रक्षक की, सदा रक्षा करें श्री राम ।
नित्य भ्रष्टाचार के बढ़ने लगे हैं पाँव,
हम उसे कर दें रवाना, हिन्द का हो नाम ।
देश प्रेमी के लिए बलिदान है सम्मान,
दुश्मनों को मात दें वे राष्ट्र ध्वज को थाम।
ईश को प्रिय शुचि हृदय के वंदना के गीत,
भोग छप्पन बिन लगे घर भक्त का सुखधाम।
धर्म मानवता बने जब लोक का आराध्य,
एकता, सहयोग तब होंगे जगत में आम।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश .