गीतिका - मधु शुक्ला
Jan 26, 2024, 19:41 IST
| दे रहा संदेश यह गणतंत्र का त्यौहार है,
राष्ट्र हित में भाव समता का हमें स्वीकार है।
साम्यता होगी तभी तो देश पायेगा सुयश,
इसलिए जनतंत्र का यह श्रेष्ठतम आधार है।
एक से अधिकार सबके और हैं कर्तव्य भी,
हिन्द के इस रूप के गुण गा रहा संसार है।
ध्वज हमारा नभ छुये सम्मान पाये विश्व में,
भाव यह करता सृजित नित त्याग का अम्बार है।
पर्व प्रिय गणतंत्र का हम सब मनाते प्रेम से,
एकता संवेदना का हिंद में भंडार है।
— मधु शुक्ला, सतना,मध्यप्रदेश