गीतिका - मधु शुक्ला

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मीडिया का कद अभी घटने लगा है,

आजकल यश हेतु यह बिकने लगा है।

न्याय सच की पैरवी अब यह न करता,

झूठ का व्यापार यह करने लगा है।

दीन पर इसकी नजर जाती न बिल्कुल,

अब इसे सौंदर्य प्रिय लगने लगा है।

खो रहा है साख अपनी स्तंभ चौथा,

यह पतन की राह पर चलने लगा है।

रात दिन बकवास कर के यह न थकता,

आँख में आवाम की चुभने लगा है।

 — मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश .