गीतिका - मधु शुक्ला
Fri, 10 Mar 2023
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पतझड़ कहे मधुमास से आओ पधारो प्रिय सखा,
वसुधा प्रतीक्षारत खड़ी उसको निहारो प्रिय सखा ।
गर्मी कभी सर्दी कभी दुख दे रही संसार को,
समता प्रभा विस्तार कर हालत सुधारो प्रिय सखा ।
मौसम सदा बरसात का रूठा रहे हँसता नहीं,
उद्यान, वन, आँगन, पवन सबको निखारो प्रिय सखा।
बंजर बनाने में लगी अपदृष्टि, भू बंधुत्व की,
देकर डिठौना प्रीति का नजरें उतारो प्रिय सखा।
हो आगमन सुख शांति का आतंक पर विद्युत गिरे,
दे मुक्ति दुख से युक्ति जो उसको पुकारो प्रिय सखा।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश