गीतिका छंद - मधु शुक्ला
Mar 30, 2024, 22:59 IST
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लोग जो तपते रहे हैं जिंदगी की धूप में,
पा सके अनमोल धन वे श्रम लगन के रूप में।
लक्ष्य हासिल हो न पाता श्रम बिना संसार में,
हो लगन जब बेतहाशा जय रहे आधार में।
जिंदगी की धूप से जो रूबरू होते नहीं,
बीज वे सम्मान यश वाले कभी बोते नहीं।
अनुभवों से ज्ञान पाकर ही मनुज ज्ञानी बने,
बाँट कर दुख दीन दुखियों के महा दानी बने।
प्रेम श्रम से था उन्हें जो भी महामानव हुये,
हाथ गहकर जिंदगी की धूप का वे नभ छुये।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश
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