गीत - जसवीर सिंह हलधर

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वो राज पथ पर चल रहे हमको मिले फुटपाथ हैं ।

हम मध्य तक कीचड़ धँसे उनके हवा में हाथ हैं ।।

हम चीखते आठों पहर वो भाषणों में व्यस्त हैं ।

हम भूख से लड़ते रहे वो व्यंजनों में मस्त हैं ।

वो आसमानों में उड़े हम तो धरा के साथ हैं ।।

वो राजपथ पर चल रहे हमको मिले फुटपाथ हैं ।।1

उनके इशारे पर जहाँ में कोंधती हैं बिजलियां ।

उनसे डरें भौंरे सभी उनसे डरी हैं तितलियां ।

वो माल शोभित कंठ हैं हम तिलक वंचित माथ हैं ।।

वो राजपथ पर चल रहे हमको मिले फुटपाथ हैं ।।2

हम लोग पीछे रह गये वो लोग आगे बढ़ गए ।

हम पैर छूते ही रहे वो पैर रख कर चढ़ गए ।

वो चापलूसी कर रहे हमने किए पुरुषार्थ हैं ।।

वो राजपथ पर चल रहे हमको मिले फुटपाथ हैं ।।3

वो मौत में उत्सव करें हम शोक में डूबे रहे ।

वो चतुर्वेदी हो गए हम घाट के दूबे रहे ।

उनकी दुआ में लोभ है अपनी दुआ में प्राथ हैं ।।

वो राजपथ पर चल रहे हमको मिले फुटपाथ हैं ।।4

प्रारब्ध का सब खेल है किसको यहां पर क्या मिला ।

ये है सनातन सिलसिला "हलधर" करो मत अब गिला ।

उनकी अलग अपनी नियति हमको सुलभ रघुनाथ हैं ।।

वो राजपथ चल रहे हमको मिले फुटपाथ हैं ।।5

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून