मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह

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ज़माने के सितम हँसकर सहूंगी।

मैं तेरे साथ  ही हरदम रहूंगी।।

सजाकर नाम तेरा इन लबों पर।

फ़साना मैं मुहब्बत का कहूंगी।।

कैसा मलाल बन न सके आफ़ताब जो।

बनके चराग़ आप  अंधेरा  मिटाइए ।।

हमेशा ये  दुनिया  सुहानी  रहेगी।

न  राजा  रहेगा न  रानी  रहेगी।।

दिलों में मुहब्बत रूहानी ही रखना।

युगों तक ये ज़िन्दा  कहानी रहेगी।।

- डॉ. निशा सिंह 'नवल', लखनऊ, उत्तर प्रदेश