मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह
Sep 15, 2024, 23:18 IST
| ज़माने के सितम हँसकर सहूंगी।
मैं तेरे साथ ही हरदम रहूंगी।।
सजाकर नाम तेरा इन लबों पर।
फ़साना मैं मुहब्बत का कहूंगी।।
कैसा मलाल बन न सके आफ़ताब जो।
बनके चराग़ आप अंधेरा मिटाइए ।।
हमेशा ये दुनिया सुहानी रहेगी।
न राजा रहेगा न रानी रहेगी।।
दिलों में मुहब्बत रूहानी ही रखना।
युगों तक ये ज़िन्दा कहानी रहेगी।।
- डॉ. निशा सिंह 'नवल', लखनऊ, उत्तर प्रदेश