मेरी कलम से - डॉ. निशा सिंह ​​​​​​​

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बात  कोई भी  मन  को लुभाती  नही।

हाल-ए-दिल तुमको पर मैं बताती नहीं।।

ख़ूबसूरत बहुत  है  ये दुनिया मगर।

बिन तुम्हारे  मुझे  रास आती  नही।।

इश्क़  करना तो  बंदगी  करना ।

पाक दिल से ही आशिक़ी करना।।

जिसने चाहा  हो टूटकर तुमको।

साथ  उसके न दिल्लगी करना।।

गुलशन-ए-दुनिया को आबाद हमें रखना है।

ये चमन फिर कभी ऐसा न हो वीरान बने।।

-डॉ. निशा सिंह 'नवल' (लखनऊ)