उड़ता पंछी - सुनील गुप्ता
Jan 21, 2023, 22:37 IST
| मैं उड़ता पंछी
नील गगन का....,
भरूं परवाज़ ऊँची !
नहीं राह है
कोई मेरी......,
डगर है मनचाही !!1!!
दूर क्षितिज के
पार जाकर....,
करता हूँ मैं मस्ती !
अपनी मौज में
रहता हूँ......
जहां चाहूँ बसाऊं बस्ती !!2!!
खुले गगन में
उड़ता जाऊं....,
कहीं ना ठहरूँ मैं !
अपनी मंज़िल का
हूँ राही......,
दिन रात उडूं यहां मैं !!3!!
सागर गहरा
ऊँचे पर्वत......,
गहरी मेरी आस !
नील गगन का
हूँ मैं राही.....,
गहरा है विश्वास !!4!!
ये चांद तारे
सूरज सारे.....,
लगते मुझको प्यारे !
खेल खेल में
उड़ता जाऊं.....,
गीत सुनाऊँ न्यारे !!5!
- सुनील गुप्ता सुनीलानंद,
जयपुर, राजस्थान