रंगो का त्योहार - राजेश कुमार

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जहाँ अपनत्व की पिचकारी हो,

प्रेम और भाईचारे के रंग में डूबी दुनिया सारी हो,

ना हो अपनो में कोई चतुर चालाकी और  मतलबी रंग

हमारे हर रिश्ते में पूरी ईमानदारी हो

जहा अबीर और गुलाल का विश्वास हो

हम इस तरह से मनाए रंगो का ये त्योहार

कि हमारी आने वाली पीढ़ी को जल की न महामारी हो

जीवन जीने के लिए जल  बहुत जरूरी है

आओ हम सब मिलकर कुछ इस तरह से होली का त्योहार मनाए

कि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम पर नाज हो

पानी अनमोल है इसे व्यर्थ न गवाएं

गुलाल से और सबके गले लगकर होली मनाए

- राजेश कुमार झा, बीना, मध्य प्रदेश