दुनिया और दुनियादारी - सुनील गुप्ता
Jun 22, 2024, 22:38 IST
| मेरी दुनिया
है बहुत छोटी सी
जब चाहूँ जाकर घूम आऊँ !
है मन बगिया ही मेरी दुनिया......,
बस रमा रहूँ और इसमें खो जाऊँ !!1!!
मन दुनिया
है बड़ी सुंदर सी
यहाँ जी भरकर आनंद पाऊँ !
चलूँ परवाज़ भरता मन व्योम पे....,
और चहुँ ओर खुशियाँ लूटाता बाँटता फिरूँ !!2!!
मेरी बगिया
चले ख़ूब चहके महके
प्रेम प्यार बरसाए जीवन में चलूँ !
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं....,
बाज़ार से गुज़रूँ, पर कभी कुछ ना खरीदूँ !!3!!
मन बगिया
खिले चले हर्षाए सरसाए
हरेक पल मुस्कुराए गाता चलूँ !
है मेरी दुनिया स्वप्निल सपनों की दुनिया.....,
सदैव यहाँ पे जीवंत जीवन जीए चलूँ !!4!!
मेरी दुनिया
और ये दुनियादारी
है मुझसे अलग थलग और विलग !
नित रहूँ खोजता सदा स्वयं में स्वयं को.....,
और अपनी विशिष्ट पहचान बनाए चलूँ !!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान