सपने में देखा एक सपना (व्यंग्य) - विवेक रंजन श्रीवास्तव ​​​​​​​

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Vivratidarpan.com - विगत 70 सालों से एक पार्टी देश से गरीबी को बाहर निकालने का सपना देख रही थी। सपने दिखें इसके लिए गहरी नींद जरूरी होती है। सो सरकारें बनती और गहरी नींद की दवाई खाकर सो जाती। गरीबी हटाने के सपने देखती। जैसे ही गरीबी थोड़ी सरकती राहुल बाबा नर्सरी, राजीव कालोनी, संजय नगर, इंदिरा सागर, जवाहर नवोदय वगैरह वगैरह  बना दिए जाते। इस पूरी प्रक्रिया में नेता जी अमीर और जनता फिर गरीब बन जाती।

कभी लाल किले की प्राचीर से योजनाओं की लोरी सुनाई सुनाई जाती तो कभी संसद में बजट का मधुर संगीत बजा कर जनता को सपने दिखाए जाते। बीच बीच में देश हित के कुछ सपने लखनऊ , कोलकाता , केरल वगैरह में भी देखे गए । लखनऊ के सपने में हर तरफ हाथी ही हाथी स्थापित किए गए जिससे देश में उनको विकास का आभास हो जो सदियों से हाथी के पैरो तले रौंदे गए थे । लखनऊ में ही साइकिल सवारों ने देश हित में यह प्रयत्न भी किए कि लोगों को कनपटी पर तमंचा रखकर  सपने देखने के लिए सोने पर मजबूर किया जाए । उन्होंने सैफई में करोड़ों खर्च कर हूरों के नृत्य आदि के आयोजन भी किए कि लोग गहरी तंद्रा में जा सकें। कोलकाता के सपने हकीकत में गांव गांव माफिया सरकार में बदल गए , तो केरल के सपने लिखा पढ़ा कर विदेशों को भेज दिए गए।

विकास की योजनाएं पूरी ही नहीं हो पातीं थी, चुनावों से पहले शिलान्यास होते पर फिर  बाद में सरकारी अमले को झपकी लग जाती थी।

कुछ लोगों ने पाया कि बिस्तर साफ सुथरा नहीं है, इसलिए जनता को अच्छी नींद नहीं आती और विकास के सपने अधूरे रह जाते हैं। उन लोगों ने दिल्ली में झाड़ू लगा कर सफाई का अभियान चलाया , पर उजड्ड जनता फिर भी ढंग से सो नहीं रही थी, तो उन्होंने लोगों को शराब पिलाकर सुलाने के यत्न किए।

इन दिनों सपने नागपुर में देखे जाते हैं, फिर उनको व्हाया दिल्ली जनता को दिखाया जा रहा है। जनता जाग गई है, उसे आजकल नींद नहीं आती , बेचैनी होती है ,तो देश कल्याण के सपने दिखाने के लिए जनता को अफीम चटा कर सुलाने की कोशिश की जा रही है।

अच्छे सपने दिखें,  बड़े सपने हों और वे साकार हो , सारा अमला इसी गुनतारे में जुटा हुआ है। मन मन भर की बातों की कहानियां सुनाकर जनता को नए तरह के डिजाइनर सपने देखने के लिए तैयार करने की कोशिश जारी है। जो सपनो की नींद में खलल डालने की कोशिश करते हैं उन्हें धर दबोच कर अलग किए जाने के हर संभव प्रयास चल रहे हैं।

चुनाव सर पर हैं , जनता जाग रही है । सपने दिखाए जा रहे हैं, दुआ है सपने सचमुच सच हों। (विनायक फीचर्स)