हक की बात - डॉ. सत्यवान सौरभ

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पत्थर के सब देवता, पत्थर के जो लोग,

होते सौरभ खुश तभी, चढ़ जाता जब भोग।

देकर जिनको आसरा, काटा अपना पेट,

करने पर वो हैं तुले, मुझको मलियामेट।

टूटे सपना एक तो, होना नहीं उदास,

रचे बढ़े या फिर करे, कोई नया प्रयास।

अपने हक की बात पर, बोले क्या दो बोल,

कटे-कटे से हो गए, रिश्ते सब अनमोल।

बिना कहे मत कीजिए, कभी किसी का काम,

वरना दुनिया मान ले, तुझको माल हराम।

टिके सदा से झूठ पर,जिनके हैं किरदार,

भला करेंगे वो कभी,सच्चाई स्वीकार।

जिनको मेरी फिक्र है, वो है मेरी जान,

बाकी दुनिया में सभी, राहगीर अनजान।

-डॉ. सत्यवान सौरभ,  उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045