कला और साहित्य अकादमी पुरस्कारों की बंदर बांट - डॉ. सत्यवान सौरभ

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Vivratidarpan.com- आज जिस प्रकार से सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त करने के लिए कुछ योग्य एवं अयोग्य साहित्यकार, कवि, लेखक, कलाकार साम-दाम-दण्ड-भेद सब अपना रहे हैं और अपने प्रयासों में प्रायः सफल भी हो रहे हैं, उससे सम्मानों और पुरस्कारों के चयन की प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है। पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियां बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियां एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत कर रही है और निर्णायकों को भी सम्मान दिलवा रही है। इन पुरस्कारों में पारदर्शिता का अभाव है। राज्य अकादमी पुरस्कारों की वार्षिक गतिविधियां संदिग्ध है। जो कार्य एक वर्ष में पूर्ण होने चाहिए उनको करने में सालों लग रहें है। पुरस्कारों के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया स्पष्ट और समयानुसार नहीं है। उदाहरण के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी के वार्षिक परिणामों की घोषणा का साल खत्म होने को है, मगर अभी तक नहीं हुई है। न ही आगामी साल का प्रपत्र जारी किया गया है। एक अकादमी के भीतर क्या- क्या खेल चलते है ? पारदर्शिता के अभाव में किसी को पता नहीं चलता।