मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

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रश्मि -

धुंध दुखों की छंट जायेगी,

पूरब में लाली छाएगी।

कालचक्र से रश्मि रवि की,

सुखद सवेरा ले आएगी।

उल्लास -

हर तरफ उजास, प्रमुदित हैं तरु पल्लव सभी,

छा रहा उल्लास, उन्मीलित सभी कलियां जगी।

चूमते प्रेमी भ्रमर झुककर सुमन मुख हो मुखर,

नृत्य करती तितलियां,मुदित मना अनुराग भर।

- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड