मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक

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सबके आंगन में खिले,

सदा खुशी के फूल,

हवा बहे आनंद की,

ले सुरभि की धूल।

कोयल से मीठे वचन,

चिड़ियों सी मुस्कान,

मन मयूरा नृत्य करें,

सुन पपिहा की तान।

प्रेम सभी सब से करें,

भूल आपसी द्वेष,

हो संतोषी मन सभी,

मिट जाए सब क्लेश।

-डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड