मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक
Jan 2, 2024, 23:18 IST
| उषा -
ठिठुराती उषा जगी
मद्धम रवि का ओज
कोहरे की चादर ढके
चली आ रही भोर,
सो रहे आलस भरे
मानुस डंगर ढोर
झांक रहे कोटर छिपे
पंछी करें न शोर।
मंगलमय नववर्ष -
नवल वर्ष की नवल उषा,
उतरे भू पर ले नवल प्रभा।
हो ज्योतिर्मय हर घर आंगन,
पुलकित हो हर मानस का मन।
जीवन बन जाए मधुर गीत,
बहती हो जिसमें अमिय प्रीत।
हर पल हो जाए मृदु वसंत,
हो कृपा ईश की आदि अंत।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून, उत्तराखंड