मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक
Nov 10, 2023, 23:26 IST
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विजित चंद्रमा चमक रहा था
तारों के संग नभ में
आखिर कब तक रख सकता था
राहू निज बंधन में
विपदाएं तो आती रहती हैं
उनसे क्या डरना
शूरवीर तो वही जिसे आता है
डट कर लड़ना।
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रूप का श्रृंगार भी अभिप्रेत है,
अंतस का श्रृंगार होना चाहिए।
द्वार के सौंदर्य में भी आंतरिक,
भव्यता का भाव होना चाहिए।
- डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड