मेरी कलम से - डा० क्षमा कौशिक 

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शक्ति भक्ति बुद्धि प्रदाता महावीर बजरंग बली.

सबके बिगड़े काज संवारे महावीर बजरंग बली।

पतवार भी नहीं,नाविक भी नही कोई,

भवसिंधु है अपार ,थाह भी नही कोई।

एक आस राम की मन में जो लग गई,

डूबती नैया उबर किनारे पर पहुंच गई।

चमक रहा था चांद पूनम का नीले आकाश पर

ज्यों विलस रहा झूमर निशा के भाल पर

तारों का झिलमिलता जादुई संसार था

निशा के सौंदर्य का अद्भुत मायाजाल था 

- डा० क्षमा कौशिक़, देहरादून , उत्तराखंड