दूरी ना बढ़ाएं - सुनील गुप्ता

(1)"दूरी ", दूरी अपनों संग
कभी बढ़ाएं ना इतनी !
कि, पाटना हो जाए असंभव.......,
और मुश्किलें बढ़ आएं इतनी !!
(2)"ना ", ना करें कोई भी
कार्य ऐसा हम यहां पर !
कि, बोलचाल ही .....,
हो जाए बंद यहां पर !!
(3)" बढ़ाएं ", बढ़ाएं फासले इतने ही
कि, पाट सकें मिलकर !
अगर करे कोई पहल......,
तो, करें स्वीकार हंसकर !!
(4)"दूरी ना बढ़ाएं ", कभी
किसी से भी यहां पर !
रखें संबंध मुलाक़ातें.......,
करते रहें मेलमिलाप यहां पर !!
(5)"दूरी ना बढ़ा लें इतनी ",
कि, खुले दरवाज़े को खटखटाएं !
अपनों संग मिलने के लिए....,
कहीं कोई बाहना ना बनाएं !!
(6)" समय रहते करलें दूरी यहां कम",
वरना, कहीं उम्र हाथों से फ़िसल ना जाए !
अपनों संग बाँटें खुशियाँ और गम......,
छोड़ मनमुटाव पीछे,आगे निकल आएं !!
(7)"ज़िन्दगी का क्या है भरोसा ",
कि, जो ये दूरियों को उम्रभर पालें !
छोड़ें करना शिकवा शिकायत......,
आओ एक दूजे संग, गले मिलें !!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान