न भूलना धड़कन धड़कन रातों को - राजू उपाध्याय

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हौले

हौले छूते रहना,

उन लम्हों की

सौगातों को..!

पर न

भूलना प्यार भरी,

उन रिमझिम

बरसातों को..!

तेरी पायल

की रुनझुन सुनके,

जब सांसे

थामी थीं,,

मत

बिसराना न भूलना,

धड़कन-धड़कन

रातों को..!

मेरे-तेरे

एहसासों ने वो,

जो ताजमहल

गढ़ डाले थे,,

कड़े 

कोस बदरंगी में,

भूल न जाना

उन बातों को..!

दिल में

मेरे एक 'फगुनियां',

मैं 'मांझी' सा

उसमें हूं,,

पर्वत जंगल

वो छेनी हथौड़े

न भूलना उन

जज्बातों को..!

रोज रोज

दिल छू कर तुमने,

दिलकश सपने

बोए थे,,

भूल न

जाना तू मेरे यारा,

उन सतरंगी

बारातों को..!

तुमसे

मिलके और

बिछड़ कर जब ये

आंखे रोई थी,,

थोड़ी सी

याद कर लेना,

उन तारीखी

मुलाकातों को..!

- राजू उपाध्याय, एटा, उत्तर प्रदेश