दोहे - मधु शुक्ला 

 | 
pic

मकर संक्रांति माघ की, है  बेहद  मशहूर।

इस दिन गंगा स्नान का, जन लें लाभ जरूर।।

पोंगल, खिचड़ी, लोहड़ी, माघी, बिहू अनेक।

नाम मिले त्यौहार को, लेकिन सूरत एक।।

पुण्य प्राप्त करता बहुत, गुड़, तिल खिचड़ी दान।

करते वेद पुराण सब, इसी बात का गान।।

खुश हो जाते हैं बहुत, पाकर दान गरीब।

शुचि कर्मों द्वारा सदा, बदले व्यक्ति नसीब।।

सूर्य देवता को नमन, कर सुख पाते लोग।

सूरज बाबा की कृपा, से बनते शुभ योग।।

मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश