दोहा छंद - अनिरुद्ध कुमार

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होली के त्योहार बा, गाँव गली गुलनार।

लाल रंग बौछार बा, गाँव शहर गुलजार।1।

फागुन अपना ताव में, मनमोहक शृंगार।

बउराइल मातल सबे, झूम रहल संसार।2।

जड़चेतन नव ताल में, पग-पग पर मनुहार।

होली होली बोल बा, फागुन के सतकार।3।

डाढ़ पात खग झूमतें,  सुरभी के बौछार।

मदमाते भौंरा चलें, प्रेमातुर व्यवहार।4।

लाल गुलाबी रंग में, झूमत मिल के यार।

आनंदित आशीष दे, सुखी रहे घर-बार।5।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड