दिनेश गोरखपुरी की पुस्तक "कर्म फल भावार्थ सहित" का हुआ भव्य विमोचन

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Vivratidarpan.com गोरखपुर - गोरखपुर 30 जून, विश्व शांति मिशन के हुमायूंपुर उत्तरी स्थित कार्यालय पर मासिक अंतिम रविवारीय गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वरिष्ठ रचनाकार दिनेश गोरखपुरी की धार्मिक पुस्तक "कर्म फल भावार्थ सहित" का भव्य विमोचन हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि जयप्रकाश नायक द्वारा की गई एवं संचालन भोजपुरी के सशक्त हस्ताक्षर राम समुझ सांवरा ने किया। वर्षा और विद्युत की आंख मिचोली के बीच कार्यक्रम बहुत ही सफल रहा। सर्वप्रथम प्रेमलता रसबिंदु ने माता सरस्वती की वंदना करने के बाद अपनी रचना "जब जब गुनगुन करती हूं, न जाने शब्द कहां से आते हैं", पढ़ कर गोष्ठी का शुभारंभ किया तत्पश्चात नीलकमल गुप्त 'विक्षिप्त' ने अपनी रचना "कर्मठ मठ के तुम हठयोगी",  सुना कर वाह वाही लूटी, इसके बाद संचालक के आह्वान पर मकबूल अहमद मंसूरी ने अपनी रचना "भोर भयो भोर भयो, जाग मन मितवा अजोर भयो," सुना कर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया, तत्पश्चात वरिष्ठ कवि हनुमान प्रसाद चौबे ने अपनी रचना "अगुआ वही समाज का दर्पण जैसा होय,देखे रूप समाज का जब भी चाहे कोय, "सुना कर वाह वाही लूटी, इसके बाद वरिष्ठ कवि दिनेश गोरखपुरी की रचना "रिश्तों का दामन टूट रहा ,संस्कार विलुप्त यहां हुआ, भाई भाई भी कहां रहा, आपस में जब तकरार हुआ," सुना कर वर्तमान परिवेश पर कुठाराघात किया, तत्पश्चात संचालक के आह्वान पर अरविंद अकेला ने अपनी भोजपुरी रचना "दिहले  बाट जवन,उहे समय लौटाई ,खटाई के बदले केहू ना पावल मिठाई," सुनाकर भोजपुरी की उपस्थिति दर्ज कराया , इसके बाद उर्दू के सशक्त हस्ताक्षर डॉक्टर बहार गोरखपुरी ने हालाते हाजरा पर अपनी रचना "जो आंखों ने देखा है जबां बोल रही है, सच्चाई अदालत का भरम खोल रही है," सुना कर वाह वाही लूटी, इसके बाद चंद्रगुप्त प्रसाद वर्मा अकिंचन ने अपनी रचना कज्जल सी रात गहरी, थी निशा भी मौन पसरी," सुना कर गोष्ठी को ऊंचाई प्रदान किया, संचालक रामसमुझ सांवरा ने सुनाया "भाग रहे सब शहर छोड़ कर सिर पर लादे हैं गठरी ,भूखे प्यासे पैदल चलते मची हुई अफरा तफरी," तत्पश्चात अरुण कुमार श्रीवास्तव ने ग़ज़ल सुनाया अबके कैसी चली है यह पागल हवा, सर पर रहने ना देती है आंचल हवा," इसके बाद अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि जय प्रकाश नायक ने कर्म फल भावार्थ सहित पुस्तक का विमोचन करने के बाद सभी की रचनाओं की समीक्षा किया एवं अपनी रचना "मेरे गीतों में अब कोई राजकुमार नहीं होता, कोई परी नहीं होती है औ, श्रृंगार नहीं होता" सुनाकर गोष्ठी का समापन किया। इसके बाद विश्व शांति मिशन के अध्यक्ष अरुण कुमार श्रीवास्तव द्वारा आए हुए सभी कवियों व आगंतुकों का आभार व्यक्त किया गया। - अरुण कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, विश्व शांति मिशन