क्या अपनी बिनेश हार गयी ? - हरी राम यादव

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जिसने पटका उठा उठा,

विश्व विजेता के अरमानों को।

धूल धूसरित किया अखाड़े में,

विजयी विश्व के गानों को ।

जो जीती लाडो अपनी सदा,

सोचो बिन लड़े कैसे हार गयी ।

एक दिन में तीन को पटका,

फिर कैसे अखाड़े के पार गयी।।

सोच समझ से परे हैं बातें,

बातें तो उठ रहीं बड़ी बड़ी।

देश प्रश्न कर रहा है गुस्से में ,

हारी बिनेश क्यों खड़ी खड़ी।

लाडो तुम तनिक न चिंता करना,

समय पुन: पास तुम्हारे आयेगा ।

अपने पौरुष पर रखना भरोसा,

झंडा नील गगन में फहराएगा ।।

 - हरी राम यादव , अयोध्या, उत्तर प्रदेश