देव निर्माल्य साहित्यिक संस्थान का स्थापना दिवस पर भव्य आयोजन

 | 
pic

Vivratidarpan.com - देव निर्माल्य साहित्यिक संस्थान का द्वितीय स्थापना दिवस और संस्थान के संस्थापक डा. राजीव रंजन मिश्र के जन्मदिन पर आनलाइन माध्यम से संरक्षक सुधीर श्रीवास्तव की देख-रेख में भव्य आयोजन हर्षोल्लास से संपन्न गया।

     कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थापक डा. राजीव रंजन मिश्र द्वारा प्रातः 7 बजे शंखनाद हुआ। तत्पश्चात गणेश वंदना डा. पूर्णिमा पाण्डेय पूर्णा, सरस्वती वंदना डा. लवकुश तिवारी 'माधवपुरी', गुरु वंदना नरेश द्विवेदी शलभ, स्वागत गीत सुमति श्रीवास्तव, अतिथियों का स्वागत डा. राजीव रंजन मिश्र और स्वस्ति वाचन हंसराज सिंह 'हंस' द्वारा धार्मिक माहौल में हुआ।

      इसके बाद 8 बजे से देश के विभिन्न क्षेत्रों के साहित्यकार/कवि, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक व्यक्तित्व और शुभचिंतकों की फेसबुक लाइव और लिखित माध्यम से बधाइयां, शुभकामनाओं का सिलसिला शुरू हुआ।

       जिसमें मुख्य रूप से आ. डा.पूर्णिमा पाण्डेय 'पूर्णा', डा. लवकुश तिवारी 'माधवपुरी,, डा. कृष्ण कांत मिश्र, सुमति श्रीवास्तव, हंसराज सिंह 'हंस', शिवनाथ सिंह 'शिव', राजबाला पुंढीर, स्वर्ण लता, गौतम सिंह, विजय प्रताप शाही, प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव 'प्रणय', जगदीश गोकलानी, अमित बिजनौरी, कुसुम लता, विनीता लवानिया, डा. ओम प्रकाश मिश्र 'मधुब्रत', डा. शशि जायसवाल, अरुण ब्रह्मचारी, निधी बोथरा जैन, सतीश शिकारी, रवीन्द्र वर्मा , प्रेमलता रसबिंदु, कुसुम सिंह अविचल, प्रतिभा सिंह, हरिनाथ शुक्ल 'हरि',

संगीता दास, सुधीर श्रीवास्तव सहित अन्याय लोगों ने अपनी काव्यात्मक प्रस्तुतियों/ उद्बोधनों के माध्यम से संस्थान के निरंतर ऊंचाइयों की ओर अग्रसर रहने के साथ ही संस्थापक डा. राजीव रंजन मिश्र जी को जन्मदिन की बधाइयां शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य और स्वस्थ सानंद और दीर्घायु जीवन की  कामना की और उनके व्यक्तित्व कृतित्व की चर्चा की।

     शाम 4 बजे से 7 बजे तक अतिथियों यथा मुख्य अतिथि डा. ओम प्रकाश मिश्र 'मधुब्रत', विशिष्ट अतिथि जगदीश गोकलानी, सारस्वत अतिथि डा. लवकुश तिवारी 'माधवपुरी, सम्मानित अतिथि प्रेमलता 'रसबिंदू', देव अतिथि अरुण ब्रह्मचारी का उद्बोधन हुआ।

   अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष डा. राजीव पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्थान की गतिविधियों पर संतोष व्यक्त करते हुए कुछ प्रेरक, रचनात्मक आयोजन पटल पर निरंतर जारी रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए अपने सहयोग, मार्गदर्शन का आश्वासन दिया।

      सबसे अंत में संस्थान के पदाधिकारी द्वय सुधीर श्रीवास्तव और राजीव रंजन ने सभी अतिथियों कवियों कवयित्रियों, शुभचिंतकों का आभार धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।