बेटी - सुन्दरी नौटियाल

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हर घर का श्रृंगार है बेटी,

किस्मत वाला है वो,

जिसकी है बेटी,

कल थीं आज भी है बेटी,

सत तंरगित साज है बेटी।

मीरा भी राधा भी है बेटी,

कभी रुकमणि नार भी है बेटी।

जब कोई आक्रान्त आये,

घातक ,रक्षक हथियार भी है बेटी,

सदा दीपक की बाती बनकर

जीवन की हमराज है बेटी,

बेटा कल तो आज है बेटी.

तूफानों से न घबराए  जो

 एक बुलन्द आवाज है बेटी ,,

कभी रुके न कभी थके न,,

पावन गंगा की धार है बेटी।

- सुन्दरी नौटियाल (शोभा)  देहरादून, उत्तराखण्ड