दोहे - मधु शुकला
Oct 23, 2023, 23:09 IST
| जनमानस को प्रिय बहुत, प्रेमचंद के भाव।
भरती उनकी लेखनी, कुरीतियों के घाव।।
संघर्षों से जूझता, पूरी उम्र किसान।
फिर भी कर्म न त्यागता, कहते तभी महान।।
कभी सिनेमा जागरण, का करता था काम।
फैलाकर अश्लीलता, आज हुआ बदनाम।।
सेना के अनुचर नहीं, चुनते हैं आराम।
इसीलिए करता उन्हें, पूरा देश सलाम।।
– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश