माघ मेला - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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संक्रांति से आरंभ होता माघ मेला हर बरस।

उत्साह से भरपूर दिखता भक्त रेला हर बरस।

चलता सतत यह माह भर शिवरात्रि के दिन खत्म हो,

होता रहे निर्वाध यह उत्सव नवेला हर बरस । 1

संगम त्रिवेणी का हुआ अब भक्ति से गुलजार है।

पावन नदी त्रय कर रहीं हर भक्त का उद्धार है।

डुबकी लगा कर अघ्य देकर अर्चना पूजा करे,

सुन संत वाणी बदल जाता व्यक्ति का व्यवहार है। 2

सागर उमड़ता मानवी हर क्षेत्र से जन आ रहे।

सैलाब यह रंगीन है आकर सभी दिखला रहे।

सब भक्ति रस में डूब कर करते शुचित इहलोक को,

कर कल्पवास कई मनुज निज आत्मबल दिखला रहे। 3

होते समागम संत गण के धर्म की चर्चा करें।

आध्यात्म के रसपान से मन के कलुष सारे हरें।

हो शंखनाद मृदंग सँग घड़ियाल-घण्टे भी बजें,

आवृत्ति गुंजन उपज कर रोमांच तन-मन में भरें। 4

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश