चंदा तारा सा डोलो - अनिरुद्ध कुमार

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हे राही क्यों ना रागे।

सूना सूना क्यों लागे।

जागोना जाना आगे।

सोंचो क्या होगा आगे।

क्यों मीठा तीता बोले।

औरों को तोले मोले।

जिंदा हो जीना सीखो।

होठों को सीना सीखो।

चिंता में डूबें खोयें।

सोंचें तो पीड़ा होये।

खोया खोया सा लागे।

ऐसे क्या कोई रागें।

जाने क्या होगा आगे।

क्या सोचें सोयें जागे।

दर्दों में गालों जीलो।

चंदा तारा सा डोलो।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड