छंद - जसवीर सिंह हलधर
Sep 18, 2024, 23:47 IST
| कौरवों ने भी बखानी ,पांडवों की जानीमानी ,
सभ्यता के मापदंड छापती है हिंदी ।
लोक लाज के विचार , सामाजिक व्यवहार ,
नीति या कुरीतियों को नापती है हिंदी ।।
ओज ,हास्य, या शृंगार , करुणा या रौद्र सार ,
भक्ति , योग साधना को भाँपती है हिंदी ।
कभी शांति की मिसाल , कभी क्रांति की मशाल ,
युग चेतना की आग तापती है हिंदी ।।
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून