बुद्ध पूर्णिमा - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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शुभ पूनम वैशाख की, हुए अवतरित बुद्ध।

तप कर वो तपते रहे, करने तन-मन शुद्ध।।1

राज-पाट को त्याग कर, धर संन्यासी वेश।

घूम-घूम देते रहे, प्रेम-शांति सन्देश।।2

बोधि वृक्ष तल बैठ कर, जाना जीवन मर्म।

सोच बदलने को किया, स्थापित नव धर्म।।3

सुखमय जीवन राह में, बिखरे अगणित शूल।

सत्य, अहिंसा त्याग ही, जीवन के हैं मूल।।4

दीप हाथ यदि एक हो, उससे जलें हजार।

ज्ञान दीप से मन तमस, दूर करें हर बार।।5

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश