देवी सरस्वती का वरदान संगीत - विजेन्द्र कोहली ''गुरूदासपुरी”

 | 
pic

vivratidarpan.com - देवी सरस्वती न केवल साहित्य और कला की देवी मानी जाती हैं वरन् वे संगीत की भी देवी मानी जाती हैं। देवी सरस्वती के हाथ में स्थित वीणा उनके इसी स्वरूप की पुष्टिï करती है और उन्हें वीणावादिनी भी कहा जाता है। आज भी किसी भी कार्यक्रम के औपचारिक शुभारंभ के समय सरस्वती वंदना की परंपरा बनी हुई है।

आदि काल से संगीत ईश्वर प्राप्ति का साधन रहा है। भगवान को गाकर, बजाकर, नाचकर रिझाना मानव मनोविज्ञान की पराकाष्ठा है। भक्ति साधना का माध्यम संगीत रहा है। चाहे भजन हो, कव्वाली या गरबा या मंदिर का घण्टा और चर्च का घडिय़ाल, मंदिर के शंख और मस्जिद की अजान, गुरूद्वारे का शब्द गायन क्या ईश्वर पूजन नहीं?

शिव का ताण्डव, राधा का नृत्य भी प्रभु भक्ति का साधन रहा है। शिव डमरू बजाते थे और ताण्डव नृत्य किया करते थे। मीरा, सूरदास ईश्वर को रिझाने के लिए ही गाते थे। सूफी संत कव्वाली या गजल गाया करते थे। नाम संकीर्तन, भजन, जगराता भी ईश्वर प्राप्ति का साधन माना गया है। सरस्वती का आशीर्वाद उन्हें ही मिलता है जो संगीत की दिव्य शक्ति का अभ्यास करते हैं। भक्ति सदा से ही आदमी की प्रकृति रही है।

कलाकार ईश्वर भक्ति हेतु नृत्य या गायन माध्यम सरल मानते थे। इससे उन्हें सुखद अनुभूति होती थी। संगीत से ध्यान की एकाग्रता बढ़ती है। इससे जीवन का विकास होता है। संगीत मानव को दयालु, नीतिवान, बुद्घिमान बनाता है। यह ब्रह्मïनाद है जो मानव को शांति पहुंचाता है। इसकी साधना से मानव को स्वर्णिम सुख की अनुभूति होती है। यह ईश्वर प्राप्ति का सरल साधन है। यह आत्मा को आलौकिक आनंद देता है।

संगीत प्रेम की भाषा है। नारद तम्बूरा बजाते थे। कृष्ण की बांसुरी से गोपियां, पशु पक्षी झूम उठते थे।

संगीत के सातों स्वर मानव मन को प्रभावित करते  है।  संगीत आत्मा का भोजन है। मन, शरीर, आत्मा का घनिष्ठ संबंध है। ओम स्वर निकालने से स्वत: प्राणायाम हो जाता है।

आज भी मंदिरों में जब भजन गाए जाते हैं तो स्वर्गीय आनंद मिलता है। गुरूद्वारे में सभी रागों में शब्द गाए जाते हैं। दस गुरूओं ने ईश्वर स्तुति के लिये सभी राग रागनियों में शब्द गाए हैं और हमारा मार्ग दर्शन किया। मस्जिद की अजान, कव्वाली, ईश्वरीय आनंद की अनुभूति कराती है। गिरिजा के गीत, भगवान के सामीप्य की अनुभूति कराते हैं।

नटराज शिव का उपनाम है वे नृत्य के देवता है। । शिव का ताण्डव, पार्वती का हास्य नृत्य, श्रृंगार एवं रौद्र का द्योतक है। संगीत स्वर्गीय आनंद देता है। आप भी कोई वाद्य, गद्य, नृत्य कला सीखें और आत्मिक स्वर्गीय आनंद पावें। (विनायक फीचर्स)