बाल - प्रदीप सहारे

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अपनी मर्जी,

अपने बाल ।

चाहे जैसे,

ढको अपना टाल ।

कभी लहराते ,

कभी दाएं,

कभी बाएं ,

कभी आगे,

कभी पीछे ।

कभी काटो ,

कभी बढाओ ।

चले अपनी चाल ।

हैं तो अपने ही बाल ?

परेशान हो तो नोचो ,

काम के समय,

जुडा बांध खोचो।

काटो छाटो अपने बाल।

शैम्पू , कंघा,  फनी ,

संवारो अपने बाल ।

उम्र दिखाते सफेद  बाल,

छिपाने उसे लगाये ,

सजाए मेहंदी से रंग महल ।

हैं तो अपने ही बाल ?

दिखे नहाते , निकले बाल,

परेशां दिल परेशां हाल ।

तेल वेल डॉक्टर वैद्य ,

दवा दारु चले अपनी चाल ।

ड्रेसिंग टेबल बने अब,

इनका एक मॉल ।

हैं तो अपने ही बाल ?

अब गये जीन के,

नहीं चले कोई चाल ।

हैं जीन के,

बचाओ एक एक बाल ।

हैं तो अपने ही बाल ?

- प्रदीप सहारे, नागपुर , महाराष्ट्र