बचपन तो बेगाना है - सुनील गुप्ता

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है बचपन तो बेगाना

मस्ती को ही चुने  !

चले मनाते खुशियाँ सदा......,

बस मन की बात सुने !!1!!

है बचपन तो दीवाना

करते मटरगश्ती बीते  !

और नाव बहाए पानी में......,

बारिश में जमके भीगे !!2!!

है बचपन तो मस्ताना

चले बिखेरे आनंद  !

और गीत सुनाए जीवन के.....,

मुस्कुराए बांटते मकरंद !!3!!

है बचपन तो परवाना

यहां वहां मंडराए   !

कभी बने तितली पतंगा.....,

और उड़ता चले लहराए !!4!!

है बचपन तो अनजाना

चले बेफिक्री मनाते   !

भूले सारे दुःख-दर्द गम.....,

और खुशियाँ रहा बांटते !!5!!

है बचपन तो एक तराना

गाए चले मस्ती में  !

झूमें बनके यहां दीवाना....,

और नाचे अपनी धुन में !!6!!

है बचपन तो एक खज़ाना

जमकर आनंद लूटाए  !

नित दिन ये बढ़ता जाए....,

और पल-पल ख़ूब हर्षाए !!7!!

है बचपन तो एक याराना

सबको मित्र बनाए  !

नहीं काहू से दुश्मनी......,

सभी से प्रीत यहां निभाए  !!8!!

है बचपन तो सुंदर गहना

सब पर ख़ूब सुभाए  !

है आनंद का निर्झर झरना....,

चले खुशियाँ यहां बरसाए !!9!!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान