बचाते कभी तो - अनिरुद्ध कुमार

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हमें देखकर मुस्कुराते कभी तो,

नशीबा हमारा जगाते कभी तो।

जमाना बुरा ना किसी पे भरोसा,

सही राह आकर बताते कभी तो।

सहारा तुम्हारा सदा चाहते हम,

जरा हौसला आ बढ़ाते कभी तो।

हमेशा तमाशा लगे जिंदगी ये,

लगी आग दिल में बुझाते कभी तो।

तड़पते अकेला बड़ी बेवफा'अनि',

कहीं मर न जायें बचाते कभी तो।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड